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Pankaj Sharma

Others

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Pankaj Sharma

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birds talk

birds talk

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करें परिंदे बात गगन में, आज पानी कहीं नहीं दिख रहा..

दूजा कहे, अरे दिखे कहां से, वो देख दुकान में बिक रहा..

गरमी है बहुत, अरे जाए कहाँ, बदन भट्टी जैसे सिक रहा..

प्यास लगी है बहुत मुझे, मगज एक जगह नहीं टिक रहा..

अरे कुछ तो कर पानी का भाई, ठंडा नहीं तो गरम पिला..

दौड़ाई नजर दूजे ने हर ओर, दोस्त का दुख उससे न झिला..

वो देख वहां शायद कुछ है, खुशी से अब चेहरा है खिला..

पानी थोड़ा, लड़ बैठे वो, पहले मुझे मिला.. पहले मुझे मिला..


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