"दुनियादारी"
"दुनियादारी"
सीख रहा हूं,में भी,अब दुनियादारी
खोकर अपनी मासूमियत, मै सारी
अब में भी झूठ बोलने लगा हूं,भारी
जब से जीवन में आई,मेरे भी नारी
सच की थी शादी,पूर्व जो बीमारी
अब खत्म हुई,शादी बाद खुमारी
सीख रहा हूं,में भी,अब दुनियादारी
सीख रहा हूं,झूठ,फरेब,हाहाकारी
जब से हुई,शादी,कैसी हुई लाचारी?
अपनों की ही बदल गई,वफ़ादारी
क्यों बदलती,शादी बाद रायशुमारी?
सोच रहा हूं,क्या शादी है,तलवारी?
सच बोलूं सबको लगे कड़वी दवाई
जिंदगी हो गई मेरी अब तो दुधारी
rgb(55, 71, 79); background-color: rgb(255, 255, 255);">झूठ की फैल गई,हर तरफ बीमारी
झूठ बोलो,जल्दी बोलो,है,समझदारी
आज बेईमानों की चल रही है,कारी
ईमानदारों पर भारी,आज दुनियादारी
फिर भी अपनी लड़ाई तो रहेगी,जारी
क्योंकि अपने को सत्य की है,बीमारी
सीख गया हूं,बहुत कुछ दुनियादारी
जब मिली,मुझे अपनों से ही गद्दारी
सब करते,बस स्वार्थ हेतु कलाकारी
कोई न निभाता,निःस्वार्थ,रिश्तेदारी
उन्हें मनाना छोड़ दिया,जो है,अहंकारी
सरल के लिये,जान तक वार दूं,में सारी
भले साखी सीखे नहीं सीखे दुनियादारी
पर किसी रिश्ते से नही करेगा,वो गद्दारी।