दुनिया
दुनिया
दुनिया देखने निकले थे...
खर्चा देखकर वापिस आ गए..
महगाई दम तोड रही थीं..
क्या करते.. हम इंसान
अपनी अपनी औकात में
रहना ही पड़ता है.. हमे..
घर का कर्जा और.. जिम्मेदारी..
इंसान को जीने नही देती..और.
इंसान इसमें धसता चला जाता है..
अपने ही परिवार में कूटता चला जाता है..
वाह रे खुदा... देता है.. तो
उसमें सहने की ताकत नहीं होती..
ना मिलने वालों की ज़िन्दगी तो..
खुदा पहले से ही जानता है..
जीना है तो आज में जियो..
कल की फ्रिक में तुम..
आज को खराब मत करो.
आनंद से अपना जीवन आज में जियो।