दुनिया रैन बसेरा है
दुनिया रैन बसेरा है
प्रिय डायरी,
कहते आए बड़े सयाने,
दुनिया रैन बसेरा है।
तिनका- तिनका जोड़ बनाता
पंछी नीड़ सुहाना,
चुग लाता, भरता निज नन्हों के-
मुख में दाना
पंख फूटते, चलते चलते
सब उड़ जाते निस्सीम गगन में
अब जाकर समझ पड़ी है-
नष्ट नीड़ में
फ़िर जान नहीं आनी है,
इस डाली पर मेरा इतना ही
दाना पानी है
फ़िर- फ़िर नीड़ बनाऊं तोड़ूं,
ये दुनिया का फेरा है
कहते आए बड़े सयाने,
दुनिया रैन बसेरा है।
घर बनता
घर वालों से, दिल वालों से
नेह की डोरी टूटे जब
ढह जाती दीवारें तब
अब जाकर समझ पड़ी है-
ध्वस्त घरों में
क्यों चूल्हा तोड़ा जाता है,
क्यों आंच बुझाई जाती है,
क्यों पानी ढुलकाया जाता,
मटका औंधाया जाता है
तालों में क्या बंद करें,
अब यह भूतों का डेरा है
कहते आए बड़े सयाने,
दुनिया रैन बसेरा है।
