दुःख और गीत
दुःख और गीत
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मैं लिखूंगा गीत!
उसकी पीड़ा और विलाप से,
उसके रुख़सारों पर लुढ़कते हुए आंसू से,
मैं लिखूंगा गीत!
उसके अनंत प्रसव पीड़ा पर,
उसके सूखे और फटे हुए होंठों पर,
मकड़ी के जाले जैसे उसके बालों पर,
मैं लिखूंगा गीत!
दुःख और पीड़ा की तमाम,
श्रेणियों को नज़र में रख कर।
मैं न लिखूंगा और न गाऊंगा,
उसके प्रेम के क़सीदे।
आखिरी सांस तक,
उसके दुःख को गीत बनाऊंगा,
और अंत में उसको अमर कर दूंगा,
क्रूरता की देवी बनाकर।