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TABISH GHAZALI

Inspirational

5.0  

TABISH GHAZALI

Inspirational

एक दिन

एक दिन

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पतझड़ के बाद

पेड़ लद जाते हैं

नए पत्तों और फूलों से

फिर बीज को हवा उड़ाती है

बीज गिरते हैं ज़मीन पर

पनपने की आकुल इच्छा लिए


मगर नहीं मिलता उनको

एक टुकड़ा भी उपजाऊ

ज़मीन का

कुचल दिए जाते हैं वे

बिना किसी भाव से।


ठीक उसी तरह

जैसे अच्छे दिन की

बंजर ज़मीन पर

करोड़ों स्वप्न

अनंतकाल की क्रूरता का

शिकार हो जाती हैं।


नहीं मिलता है पनपने

के लिए कुछ भी

किंतु एक दिन पनपेंगे

रसोईघर में रखे रोटी पर लगे

भुए की मानिंद

और सब कुछ उपजाऊ बना देंगे।

सिवाए तुम्हारी सरकार के।



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