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Bindiyarani Thakur

Inspirational

3  

Bindiyarani Thakur

Inspirational

दुआ

दुआ

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भीगी पलकें थीं, 

पर होंठ मुस्कुरा रहे थे ।

उनको कुछ कुछ समझ रहे थे,

ज्यों ज्यों करीब हम उनके आ रहे थे।

देश के लिए मर मिटने को वे, 

तो सरहद पर जा रहे थे ।

और हम आरती का थाल लिए,

दरवाजे पर उन्हें तिलक लगा रहे थे।

दिल से दुआ,

तमन्ना बनकर निकल रही थी ,

रहे सलामत सुहाग मेरा,

देश भी सलामत रहे,

दोनों में से किसी की भी,

क्षति ना हो।

बनकर विजेता वो आए,

मेरे साथ हर भारतीय ,

जीत का जश्न मनाए।।



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