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Neeraj pal

Abstract Inspirational

3  

Neeraj pal

Abstract Inspirational

दर्शन देकर ।

दर्शन देकर ।

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बीत रहा है युग, प्रभु दर्शन की है आस लगी,

इन नैनन से तुझे निहारुँ, अँसुवन की है धार लगी।

अश्रु बिंदु में देखूं जब भी, तेरी ही छवि निराली,

मन बना मयूर तभी, नाचना चाहे गली -गली।

चिंता में है मन प्रभु, कब होगा निस्तार हमारा।

मेरे प्रभु कब दर्शन देकर, कर दोगे उद्धार हमारा।।१।।


तुम तो हो अंतर्यामी, कब होंगे दुख दूर हमारे,

निस्सहाय पड़ा हूं इस जगत में, शरणागत हूं मैं तुम्हारे।

शांति की तलाश में भटकता, उर में सुंदर भाव भर दो,

मुक्त हो सकूं जग -बंधन से तपते हृदय को शांत कर दो।

कण-कण में तुम ही व्याप्त हो प्रभु, कर दो कल्याण हमारा।

मेरे प्रभु कब दर्शन देकर, कर दोगे उद्धार हमारा।।२।।


जन्म -जन्म से भटक रहा हूं पाने को दीदार तुम्हारा,

कर्मों में मैं फंसा प्राणी ,ले ना सका मैं नाम तुम्हारा।

तुम हो मालिक अखिल विश्व के, हरने को पीड़ा हमारी,

 कोई भी पुकारे किसी भी नाम से ,सब को है जरूरत तुम्हारी।

अंतिम विनय करता है "नीरज" बन जाऊं दास तुम्हारा।

मेरे प्रभु कब दर्शन देकर, कर दोगे उद्धार हमारा।।३।।


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