दरियादिली
दरियादिली
सुना हैं जिंदगी कुछ दोहराती नहीं,
यादें समेट लो, बस रह जाती वहीं!
लौटकर कुछ वापस ना आनेवाला,
जो आज है, कल जा के कल बन गई!
धूप और छाँव जीवन सफर के गाँव,
जहाँ रुका कारवाँ वहीं रात ढल गई!
सपने और सच्चाई कभी मिले कही!
टूटी हुई टहनी पे फूल खिले है कही!
ताउम्र भाग रहे सुकून की तलाश में,
मौत अपनी दरियादिली दिखा गई!