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Jagruti rathod "krushna"

Romance Classics

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Jagruti rathod "krushna"

Romance Classics

तुमने !

तुमने !

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ज़र्रा थी मैं, आफताब बनाया तुमने।

मुझको मुझसे मिलाया तुमने........


मौन की एक मूरत थी मैं,

हंसना मुझे सिखाया तुमने,

मुझको मुझसे मिलाया तुमने........


अनदेखे मेरे ख्वाबों को,

बड़े प्यार से सजाया तुमने,

मुझकों मुझसे मिलाया तुमने.......


नजरअंदाज कर मेरी गलतियां,

हरपल साथ निभाया तुमने,

मुझको मुझसे मिलाया तुमने.......


बदली निराशा की घिर आई,

हौंसला भी तो दिलाया तुमने,

मुझको मुझसे मिलाया तुमने.......


मेरी हर इक इक मर्जी को,

अपनी मर्जी बनाया तुमने,

मुझको मुझसे मिलाया तुमने......


इतना प्यार ना कर ओ साथी!

मुझको खुदपे गुरूर हो जाए।

आए मौत मुझे अगर कभी।

वापस जाने पे मजबूर हो जाए......


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