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રાઠોડ જાગૃતિ "કૃષ્ણા"

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રાઠોડ જાગૃતિ "કૃષ્ણા"

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कोई रंग न भाये!

कोई रंग न भाये!

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तोहे बिनती करूं ए श्याम! मेरी अरज सुनो घनश्याम!

मोहे रंगलो अपने नाम,दूजा कोई रंग न भाये!

अब क्या करें कीथ जाये! कही चैन न आये!


बंसी बजा दे तान सुना दे,इस बूतमें तु प्राण बना हैं,

मेरे आकुल व्याकुल नैन! कही मिले न मुझको चैन!

अब क्या करें कीथ जाये! कही चैन न आये!


जमुना तट, बंसी के बट तुजे कहाँ कहाँ न ढूंढा!

नैना बरसे दरस को तरसे,तू झांकी करादे श्याम!

अब क्या करे कीथ जाये!कही चैन न आये!


जो तू न आये तो मुझको पास बुला ले,मुझको

अपने चरणों की धूलि तू बना ले,

तेरी सेवा में सुबहो शाम, मुझे मिल जाये आराम!

अब क्या करे कीथ जाये! कही चैन न आये!


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