कोई रंग न भाये!
कोई रंग न भाये!
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तोहे बिनती करूं ए श्याम! मेरी अरज सुनो घनश्याम!
मोहे रंगलो अपने नाम,दूजा कोई रंग न भाये!
अब क्या करें कीथ जाये! कही चैन न आये!
बंसी बजा दे तान सुना दे,इस बूतमें तु प्राण बना हैं,
मेरे आकुल व्याकुल नैन! कही मिले न मुझको चैन!
अब क्या करें कीथ जाये! कही चैन न आये!
जमुना तट, बंसी के बट तुजे कहाँ कहाँ न ढूंढा!
नैना बरसे दरस को तरसे,तू झांकी करादे श्याम!
अब क्या करे कीथ जाये!कही चैन न आये!
जो तू न आये तो मुझको पास बुला ले,मुझको
अपने चरणों की धूलि तू बना ले,
तेरी सेवा में सुबहो शाम, मुझे मिल जाये आराम!
अब क्या करे कीथ जाये! कही चैन न आये!