ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
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मन मे बसी पीड़ा को उभर जाने दे।
बह जाने दो आंसु को न ठहरने दे।।
कब तक बसाए रखेंगे इस दर्द को।
हंसी बना लबो पर बिखर जाने दे।।
कभी न कभी तो छट जाने है बादल।
टूट कर आज उसे भी बरस जाने दे।।
राह तक रही एक नई सुबह सुहानी।
काली अंधियारी रात गुजर जाने दे।।
मानो तुम ये बात हमारी जो गहरी है।
हमारी तो ज़िन्दगी ही तुम में ठहरी है!!