दर्द शब के गुज़रने का।
दर्द शब के गुज़रने का।
हम खुश ही कब थे जो अब गम में है।
थे हमेशा गम में ही अब भी गम में है।।1।।
चेहरे पर सफाई अश्कों के बहने से है।
नज़रें हमारी हमेशा से ही पुरनम में है।।2।।
खुशी को मिले एक अरसा हो गया है।
ये ज़िन्दगी जैसे अब तो जहन्नुम में है।।3।।
पूछो दर्द शब के गुज़रने का सहर से।
सारी आह सिमट आयी शबनम में है।।4।।
सुकूँ ए रूह तिश्नगी बुझती नहीं कहीं।
इसकी तो शिफ़ा आबे ज़म ज़म में है।।5।।
मुझको हसरत नहीं उसे यूँ देखने की।
वो दिले सुकूँ हरपल मेरी धड़कन में है।।6।।
