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Salil Saroj

Drama

4  

Salil Saroj

Drama

दर्द का व्याकरण

दर्द का व्याकरण

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दर्द को पढ़ना

थोड़ा कठिन है

क्योंकि

वो 

शब्दों में लिखा नहीं होता

किसी रंगीन सी कलेवर में

किताब में छपा नहीं होता

या 

किसी स्मारक के नीचे 

खुदा नहीं होता


ये

हवा की तरह बिखरा होता है

जिसे मुट्ठियों में बाँधना होता है

पानी की तरह भागता रहता है

जिसे बाँहों में समेटना होता है

और कभी

जन्मों से एक ही जगह पर

पहाड़ की तरह अड़ा होता है

जिसे आँखों की पानी से 

उखाड़ना होता है


दर्द का व्याकरण

और 

उसकी मात्राएँ

मर्ज के संधि-विग्रह पर

टिका होता है

जो

स्वर और व्यंजन के हेर-फेर से

विच्छेद हो सकता है

और

अलंकारों की कुचियों से

दवा भी बन सकता है


दर्द सहेजना तुम 

अगर सीख जाओगे

तो

रिश्ते सहेजना भी सीख जाओगे।


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