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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Abstract

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

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दर्द और इश्क

दर्द और इश्क

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दिल मे तस्वीरों को लेकर जो जो बैठा  

अश्कों की स्याही से तकदीर लिखा बैठा।

दर्द लेकर वो इस का तन्हा हो गया

कहे तो किस से कहे बिन कहे गुमसुम हो गया


रोक कर अपने जज्बात उलझना किस से 

एक तरफा थे अल्फाज़ उलझना किस से  

ये है इसक की सौगात उलझना किस से  

दोष तो अपना ही था उलझना किस से।

यौवन का उन्माद सिर चढ़ कर बोला 

अधपके सवालात दिखाते हैं खोख्ला चोला 

समझ होती तो आज रोता ही क्युं यूँ अकेला 

दे तसल्ली अब किसको मेरा मनवा वोला 


सोचता हुँ आर या पार जो हो देखा जाएगा 

मन में उठ्ता है झंझावात कौन समझ पायेगा 

दिल में तस्वीरों को लेकर जो जो बैठा  

अश्कों की स्याही से तकदीर लिखा बैठा।

दर्द लेकर वो इसक का तन्हा हो गया कहे तो

किस से कहे बिन कहे गुमसुम हो गया


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