द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू
भारतीय राजनीति में आ रहे, बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन,
विश्व पटल पर लहरा रहा, हमारे राष्ट्रीय ध्वज का परचम।
भारतीय गणतंत्र को आज, मिली है एक महत्वपूर्ण उपलब्धि,
मुर्मू का पहली नागरिक बनना, गणतंत्र की है अभिव्यक्ति।
भारतीय नारी का फिर एक बार, उठा सम्मान से सिर ऊपर,
एक बार फिर सिद्ध हुआ, गणतंत्र ही राजनीति का शिखर।
संस्कारों की राह पर चली, साबित कर दी अपनी योग्यता,
राजनीति के गलियारों में, कर दी साबित अपनी पात्रता।
रहती थी गाँव के कच्चे घर में, सदा धरती से वो थी जुड़ी,
कदम दर कदम बढ़ती रही, सद्भाव ही थे जीवन की धुरी।
जिन्दगी से लड़कर ही, पाया उन्होंने अपने जीवन का उत्कर्ष,
पति खोया, बच्चे खो दिए, पर बनाये रखा जीवन का प्रकर्ष।
एक आदिवासी महिला के जीवन का यह संघर्षमय सफर,
नहीं थी आसान यह राह, था यह रास्ता बड़ा ही दुष्कर।
अवसाद भरा जीवन, मृत्यु से लड़ते लड़ते जी गई जिन्दगी,
जुड़ गई शिव बाबा संग, यही थी जीवन की बड़ी बंदगी।
सूरज, चाँद और तारे सभी, बरसा रहे हैं आशीर्वाद के फूल,
उनका यह नया अवतार, बदलेगा राजनीति को आमुलचूल।
राष्ट्र की सारी जनता, करती पहली नागरिक का अभिवादन,
पूरा देश आज कर रहा दिल से, द्रौपदी मुर्मू का अभिनंदन।
कहीं है मोदी, कहीं है योगी, कहीं हिमंत, और कहीं है द्रौपदी,
तीन जैसे हो अशोक स्तम्भ के शेर, साथ खड़ी है रणचंडी।
कोई न हिला सकता राष्ट्र की गरिमा, उचित समय है आया,
विश्व गुरु बने राष्ट्र हमारा, प्रज्वलित हो प्रगति का दीया।
जाग रहा यह भारत राष्ट्र, जाग रहा है राष्ट्र का स्वाभिमान,
न झुकेगा अब सर हमारा, ऊँचा रहेगा तिरंगे का अभिमान।
नया जोश है, नयी उमंग है, नयी है अब हमारी विचारधारा,
पवित्र मन है, उच्च संकल्प हैं, सतगुणों की बह रही जलधारा।
आदिवासियों को मिलेगी आवाज़, प्रगति का होगा आगाज़,
दबी हुई आवाजों को मिलेंगे, सकारात्मकता के अल्फाज़।
एक नया संसार होगा, मिलेगा पिछड़ों को एक नया अंदाज़,
सशक्त होंगे उनके कदम, सपनों को मिलेगा ऊँचा परवाज़।
कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे, राष्ट्र का होगा नव निर्माण,
नव चेतना का होगा प्रसार, भविष्य का हम गढ़ेंगे सोपान।
कलुषिता का संहार होगा, सद्भावों की बहेगी पावन बयार,
वक़्त के इस बदलते दौर में, राष्ट्र को मिला सशक्त आधार।