दफ्तर में होली
दफ्तर में होली
लड़कियां हम ज्यादा तो नहीं थी वहां
पर जितनी भी थी सब खुश थेेेे हमसे
ना ज्यादा लड़़ना होता ना ही हंसना
खुद ही खुद केे मालिक होतेे थे वहां।
दिन होली का सफेद कुछ पहनना था
मैं खुले बालों में और सफेद कुर्ती डाली
आधे दिन तक काम फिर खेलना था
रसगुल्ल्ले और गुलालोंं का सजना था।
एक था थोड़ा चाहनेे वाला मुझे वहां भी
बार बार रंग डालनेे के मौके पर था जो
पर मेरे मना करने पर मान भी जाता था
और छुट्टी होने तक रंग डालूंगा कहता था।
एक लडकी थी वहां अपने काम से पहुंची
आप बहुुुत सुंदर हैं ऐसा मुझे कह कर आई
फिर उसे मेरी तारीफ और अच्छी लग गई
गुलाल लगा लेने देे प्यार से गाल पर दाईं।
गुलाबी अबीर दोनों गाल पर मेरेे लगाया
पीला गुलाल फिर बालों में उसने छिड़काया
कपड़े झाड़ते जब थी घर को आने लगी मैं
गुस्सेेेे में लाल और परेशान फिर उसने पाया।