दफन
दफन
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फांसी पर वो चढ़ गए
अध्याय देश भक्ति का गढ़ गए
जेल में फंदे पर गए सो
जल्लाद भी दिए थे रो।
मशाल आजादी की जला गए
आजाद देश हमें संभलवा गए
रंग दे बसंती चोला माँए कह गए
अब सिर्फ किताबों में पढ़ने को रह गए।
केवल जन्म-मरण दिवस पर याद आते हैं
देशभक्ति का जोश-जज्बा जगाते हैं
चढ़ते हैं श्रद्धा सुमन
झुकते कोटि-कोटि शीश नमन।
जश्न-ए-आजादी में इतरा बैठे
आजादी के मतवालों को भुला बैठे
इतिहास रचने वालों को
इतिहास के पन्नों में ही दफना बैठे हैं।