दोस्ती
दोस्ती


वो दोस्ती की दीवार बनाती गयी
वो हंसते हुए उस पार ईटे लगता गया,
वो यारी में उसके जीने लगी
वो याद में उसके मरता गया
वो इश्क़ की ठुकराई थी
वो मुहब्बत का प्यासा था
वो सुनती नहीं थी हाल ए दिल उसका
वो भी कहां बयां कर पाता था
बस यही कश्मकश चलती रही
वो दोस्ती से आगे बढ़ती नहीं थी
वो कोशिश कभी करता नहीं था।