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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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दोस्ती

दोस्ती

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दोस्ती यकीन पर टिकी होती है

यह दीवार बडी मुश्किल से खड़ी होती है

कभी फुरसत मिले तो पढ़ना किताब रिश्तों की

दोस्ती खून के रिश्तों से बड़ी होती है

दोस्त जरूरी हैं जिदंगी में

उनके बिना जिदंगी का क्या मजा 

दोस्ती में छोटे-मोटे झगड़े तो होते ही हैं

पर उन्हें सुलझाने का कुछ और ही है मजा

दोस्तों से मुँह मोड़ कर मत दे अपने को न दे सजा 

दोस्ती की कद्र कर,दोस्ती में यकीन रख

कभी फुरसत मिले तो पढ़ना किताब रिश्तों की

दोस्ती खून के रिश्तों से भी बड़ी होती है ।


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