दोस्त
दोस्त
थोड़ी मस्ती थोड़ी गपशप थोड़ी हँसी थोड़ी मुस्कुराहट
थोड़ा अपनापन थोड़ी नोकझोंक
करते हुए भी नहीं थकते थे हम
वो शाम की चाय
वो अलग अलग व्यंजन
साथ बैठ के गप्पें लड़ाना
एक दूसरे की टाँग खिचना
कब वक्त निकल जाता पता ही ना चलता
आज भी उस वक्त को याद करते है
तो चलो फिर हँसी मज़ाक़ का माहौल बनाते है
थोड़ी नोकझोंक और मस्ती करते है
क्यूँकि इन पलो को ही तो ज़िंदगी कहते है