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Deepika Raj Solanki

Inspirational Others

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Deepika Raj Solanki

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दो वरदान स्त्री का हो सम्मान

दो वरदान स्त्री का हो सम्मान

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मैं परिणीता, तो तुम भी हो वामांगना,

तुम नारायण सहधर्मिणी,

मैं भी हूं ह्दयेश्वरी अपने प्रीतम की,

तुम में शक्तिपुंज समाया,

और मैंने शक्ति हीन जीवन पाया,

गर्भ से तुम्हारे सृष्टि ने जन्म पाया,

स्त्रीत्व से अपने, मैंने भी जीवन चक्र चलाया,

कभी सरस्वती, कभी लक्ष्मी,कभी अन्नपूर्णा का

वरदान मैंने तुझसे पाया।

फिर अबला का जीवन मैंने ही क्यों पाया??


कभी नंदिनी, कभी सहचरी बन

हर कर्तव्य को मैंने निभाया।

तो फिर कई बार निष्कासित होने का

दर्द मैंने ही क्यों पाया??

तेरे हर रूप ने सृष्टि में सम्मान पाया,

तिरस्कार और अपमान 

फिर मेरे ही हिस्से में क्यों आया?? 


कलयुगी रक्तबीज से कितने बार

देह दुहिता का थर्राया।

 फिर क्यों नहीं हाथों में उसके त्रिशूल समाया??

 करो कल्याण अब जगदंबा मां,

 भर दो शक्ति का संचार अब अबला में,

 सबला का कर दो इतना बखान,

 कांपे अब हर इंसान बनने में शैतान,

 जो साधक सुमिरै तुमको,

 दो बस उसको इतना ज्ञान,

 स्त्री सम्मान में छुपा है तेरा वरदान।।


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