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GOPAL RAM DANSENA

Abstract

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GOPAL RAM DANSENA

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दो शब्द

दो शब्द

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अपना बच्चा जब गोद में बढ़ता

माँ बाप है एक दुनिया गढ़ता


उस बच्चे की पहली बोली

जब उसने था अमृत घोली


उसे गोद में लेकर होते गदगद

जब सुनते उसके पहले दो शब्द।


विवाह में जब लाडली बिदा हो

जिस पर माँ बाप हमेशा फ़िदा हो


सौपते हुए उसका हाथ

तब तन मन जाये कांप


आज से ये अमानत तुम्हारी हुई

माफ़ करना जो कभी चूक हुई


जी कलप कर जब आंसू बहाये

जीवन में दो शब्द याद रह जाये।


थक बैठे हैं हर जतन कर

अंत समय मृत्यु शैय्या पर


थाम रहीं हो सबल बाहें

ताक रही हैं कातर निगाहें


कहते पूरा हुआ दिन हमारा

खुश रहना जहां है तुम्हारा


सुन जिसे पत्थर भी पिघल जाये

शायद ये दो शब्द कोई भूल पाये ।



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