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manasvi poyamkar

Abstract

4.5  

manasvi poyamkar

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दिवाली

दिवाली

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चाहता है ये मन के

दिवाली रोज आये

रोज हम खुशियों

के दीप जलाये

सब मिलकर

लड्डू पेढे खाये

चक्री फुलझड़ियां जलाये

रंगोली की रौनक अंगना मे आये

अनार उछले असमान तक

रस्सी बम धमकाये

पूजा आरती करे भगवान की

के जीवन मे खुशियां

वो सबके लाये

चाहते है दिवाली रोज आये।


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