दिन याद आ गए
दिन याद आ गए
कभी हंसाया तो उसने कभी रुलाया भी होगा
हमने भी कहाँ उन्हें किसी से कम सताया होगा,
कभी जग में सम्मान के लिए खुद झुक गए गुरु
कभी खुशियों का त्योहार हमारा मनाया होगा।
कैसा घर होगा स्कूल, कैसी वो माँ होगी गुरु
बड़ा सा परिवार और सबकी दुनिया हुई शुरू,
हर एक कार्य का समय सिखाया है उसने
जिंदगी को जीने का मार्ग दिखाया है उसने।
सोचो तो वो दिन भी क्या मजे के दिन थे
नादान हम जब स्कूल के दिन मिले गिन के,
मुझे आज याद आता है अब हर वो पल
कि कैसी फिक्र सी थी स्कूल जाना है कल।
शुरू काले तख्त पर श्वेत लिखावट से हुई थी
शब्द की पहचान मोतियों सी सजावट से हुई,
हर छोटे- बड़े काम में गुण गुरु के मिलते हैं
यात्रा के अंत में श्वेत पर काले शब्द मिलते हैं।
