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Shraddha Pandey

Abstract

4.8  

Shraddha Pandey

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दिन भर काम नहीं सोने देता

दिन भर काम नहीं सोने देता

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दिन भर काम नहीं सोने देता,

रात को एक नाम नहीं सोने देता।


बड़े शौक से कर लेते हैं

हम सब मोहब्बत यारों,

फिर उसी मोहब्बत का

अंजाम नहीं सोने देता।


बुलाते हैं मुझे वापस

वो सब यार मेरे,

मुझे उन यारों का

पैगाम नहीं सोने देता।


है मेरी भी कुछ ख्वाहिशें मगर,

मुझे मेरे माँ बाप का

अरमान नहीं सोने देता।


करते हैं लोग मेरी इज़्ज़त मगर,

मुझे उनका वो पहला

सलाम नहीं सोने देता।


करती हूँ मेहनत

नई-नई मंजिलें पाने को,

मुझे पिछली हार का

परिणाम नहीं सोने देता।


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