दिन और रात
दिन और रात
पत्तों की शाखाओं से
उभरता हुआ फूल।
सूरज की किरणों में
लगता है कोई नूर ।
सूरज की रोशनी से
धरती जाग उठी ।
दिन चढ़ आया
अब तो तुम उठो ।
रात में फैला है
चारों और अंधेरा ।
बस चांद और तारे
देते हैं पहरा ।
जिस तरह दिन और रात
देते हैं धरती को साथ ।
उसी तरह हमें भी
बढ़ाना चाहिए एक दूसरे का हाथ ।