दिलों को अब मिलना चाहिए
दिलों को अब मिलना चाहिए
दिलों को अब मिलना चाहिए
प्यार के फूल खिलना चाहिए
वो कशममकश में क्यों जिये भला
बंधनो से उसे निकलना चाहिए
हाथों में पत्थर है उसके पर यहाँ
शीशे का मकाँ भी मिलना चाहिए
सासों में उसके समाने की जिद है
पर साँसे उससे तो मिलना चाहिए
जन्नत में जाकर क्या होगा क्या पता
पहले घर से तो निकलना चाहिए
सौंप दें हम उसको आबरू अपनी
पर उसे भी तो ये संभालना चाहिए
न शिकवा न गिला हो हमारे दरमियां
दिल को ऐसे भी मिलना चाहिए
समय के अनुबंध न हों बीच अपने
इश्क़ में इतना तो फिसलना चाहिए।