दिल
दिल
दिल को नही मालूम
कि वो क्या कर बैठा
दिल लगाने का गुनाह का बैठा
कांटों भरे रास्ते पर चलने का शौक जगा बैठा
जिस पर चलने की सजा सिर्फ दर्द
रुसवाईयां, तड़पन,अश्क और घुटन
मुफ्त मोल कर बैठा
अपना सुकूं और चैन अपने खो बैठा
अनजाने में खुद को ही जला बैठा ।।