दिल उड़ता है
दिल उड़ता है
पेड़ पर बैठ के,
ख्वाब के घोंसले बुनता है
दिल उड़ता है,
सुबह उड़ कर भविष्य के लिए दौड़ता है
पूरे दिन दिल को मेज पर बैठा कर सब करता है,
दिल बैठा बैठा थक जाता है,
जब शरीर भी हिम्मत छोड़ जाता है
सूरज भी अपने घर चला जाता है
तब लौटता है वो दिल के पास
जो उदास सा पड़ा होता है
आसुंओं से जड़ा होता है,
पिछले दिन का हर टूटा वादा उसे याद आता है,
फिर रात में बिस्तर पर गिरते,
बोझ के फिसलते दिल की याद आती है
अगले दिन उसको खुश रखने की कसमें खाई जाती है,
रात भर दिल खुशी से उड़ता है,
पेड़ पर बैठा खुशियों का घोसला बुनता है
दिल उड़ता है, पूरी रात उड़ता है।