दिल की किताब
दिल की किताब
बहुत साफ़ लफ्जो में अर्ज थी
जिंदगी की किताब मेरी
वो आये,
कुछ पन्ने जलाये
तो कुछ पर
स्याही उड़ेल गए !
न अब कोई पढ़ पाता है
ना हम सुना पाते है
लफ्ज लिखना तो अब
मेरी आदत सी बन गयी है
पर अब लफ्ज पेचीदा
और मतलब दोगले से हो गए है !