दिल की गहराइयों में झांकता मन
दिल की गहराइयों में झांकता मन
आज जब मैं सो रही थी
सुनहरे सपनों में खो रही थी
तब मेरा मन दिल की गहराइयों में झांक रहा था।
बचपन से अभी तक के सारे प्रसंग याद कर रहा था।
जिनको हमने दिमाग के किसी कोने में छिपा दिया था।
जो चेतन मन में कभी याद आते ही नहीं एक धुंधली याद सी रह जाती थी।
बचपन की वे सहेलियां जिन्होंने हमारा साथ दिया।
हमको दिल से प्यार किया।
और फिर वक्त के साथ कहीं खो गई उनका चेहरा हमको नजर आया।
हमको अपना बुआ के साथ में साझा किया हुआ कमरा याद आया।
हमको अपना पढ़ाई का कमरा याद आया।
कुछ अपनों के साथ बिताए गए सारे दिन पल याद आए जो दिल की गहराइयों में कहीं छुप गए थे ।
जब हमने अपने दिल की गहराइयों को टटोला।
तो छत पर करने वाले डांस गाने का समय याद आया।
वह दोस्तों के साथ करी हुई मस्ती याद का पल याद आया।
जिंदगी में अपनों के साथ में बिताये हुए सारे प्यारे से लम्हों की याद आई।
ओर भाई लोगों की मस्ती याद आई।
आज जो हमको छोड़ गई हैवे भाभियां याद आई।
माता-पिता का प्यार याद आया भाई लोगों का दुलार याद आया
जो दिल की गहराइयों तक उतरा हुआ था वह सब समा याद आया।
साथ में मां की वह सीख याद आई जो हमेशा वह मेरे को कहा करती थी।
काम करते-करते थे मुझको समझाया करती थी।
जो हमने महसूस करा और सच में पाया।
सीख यह थी जिंदगी में शादी के बाद किया हुआ प्यार बरगद के पेड़ की समान होता है।
जो समय के साथ फलता फूलता है।
कभी कम नहीं होता है।
एक सीख यह थी कर भला तो हो भला।
एक सीख किया थी जो मां-बाप का नहीं हुआ वह किसी का नहीं हुआ।
और भी बहुत कुछ था।
जिंदगी में हमने सब अपनाया और सबका प्यार पाया।
दिल की गहराइयों से मां बाप और अपने बड़ों का आशीर्वाद भी हमने पाया ।
आज हम दिल की गहराइयों से हमारे सभी बड़ों को हाथ जोड़कर प्रणाम कर धन्यवाद करते हैं कि
उनकी वजह से हमने इतना सुंदर जीवन पाया।
दिल की गहराइयों से निकले हुए भाव