दिल का फ़साना
दिल का फ़साना
हमने तेरी मोहब्बत को बना लिया दिल का फ़साना
क्या अंजाम हुआ इश्क़ का हमसें पूछ रहा है ज़माना
कभी है विसाल-ए-यार इश्क़ में तो है कभी जुदाई भी
कभी बनी कोई मिसाल तो कभी मिली रुसवाई भी
आज याद है आया फिर गुज़िश्ता कल का वो तराना
बिन किसी शिकायत के राहों में मुझे तन्हा छोड़ जाना
इस दिल के फ़साने में जो लिखी हैं दास्ताँ तुमने प्यार की
अब तो बस एक ही ख़्वाहिश मुझे बस विसाल-ए-यार की
मुक़्क़मल हो ये ज़िन्दगी जो होगा अगर तेरा लौट कर आना
अधूरा फिर ना रहे कभी किसी का का फ़साना।