दिल और नींद
दिल और नींद
नींद ने आने की रख दी शर्त है
आऊँगी मिलने घना अंधेरा होने पर है।
पर दिल की भी फितरत है
रोना है तन्हाई होने पर है।
दिल और नींद में बहुत फासला है
अंधेरा करता है दोनों को ही इतला है।
जंग दोनों में बड़ी छिड़ी है
जीत के लिए दोनों में
प्यार औऱ नफरत खड़ी है।
फ़ैसला तो होगा एक न एक दिन है
कब तलक करेंगे दोनों बातें गिन गिन है।
किसी दिन तो ये दिल टूटेगा
और नींद का अंकुर फूटेगा।
तब जीत नींद तेरी जरूर हो जाएगी
दिल की धड़कनें जब बन्द हो जायेगी।
जब तलक चल रही है सांसें
नींद तुझसे न होगी मुलाकातें
दिल टूटने पर ही
धड़कन छूटने पर ही
तू नींद हमेशा जीत लेना मुझे।
फिर भी ये विजय साखी तुझे भूल न पायेगा
कब्र में तेरे आने से पहले तक ये सोया रहेगा
तेरे आते ही फिर से ये धड़क जाएगा।