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Pawanesh Thakurathi

Abstract

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Pawanesh Thakurathi

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दीया मुहब्बत का जलता रहे

दीया मुहब्बत का जलता रहे

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दीवाली होती रहे

दीया मुहब्बत का जलता रहे।


नफरत की जब भी, आने लगे बू

हृदय में अंकुर प्यार का मचलता रहे

दीया मुहब्बत का जलता रहे।


दुखों का अंधेरा, जीवन से छंटे

सुख का सूरज टहलता रहे

दीया मुहब्बत का जलता रहे।


आदमी से परिचय, आदमी का हो

रिश्तों में सदा ही तरलता रहे

दीया मुहब्बत का जलता रहे।


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