दीवाली/दशहरा
दीवाली/दशहरा
हर वर्ष दीवाली आती है,
फिर भी अंधेरा मिटता नहींं।
रावण हर बार जलाते है,
फिर भी रावण मरता नहीं।
लक्ष्मी पूजन हर वर्ष करें,
फिर भी दरिद्रता जाती नहीं।
पुतला फूंके रावण का,
अहंकार पर जलता नहीं।
पकवान बनाते नये-नये,
कइयों के चूल्हा जलता नहीं।
यह कैसी दीवाली है,
भेदभाव तो मिटता नहीं।