STORYMIRROR

SHUBHAM SHARMA SHANKHYDHAR

Fantasy

4  

SHUBHAM SHARMA SHANKHYDHAR

Fantasy

दीदार ए इश्क

दीदार ए इश्क

1 min
404

दिल पहली बार था धड़का

मैं देख के उसको भड़का

देखा था उसको शादी में

वो लगे नहाई चांदी में


पहले प्यार का पहला नशा

देख के मुझको वो था हंसा

वो काली साड़ी में इतराए

मेरा ब्लड प्रेशर बस बढ़ता जाए


दो नैना थे मतवाले

और पैरों में झंकारें

सब उसके हुए दीवाने

मैं भी था वहीं किनारे


वो हरदम ही मुस्काए

मेरे मन को भायी जाए

मैं दिल को था समझाए

पर दिल ये मचला हाय


मैंने सोचा उस से बोलूं 

ये प्यार भरा दिल खोलूं

फिर सोचा मैं क्या बोलूं

कैसे मैं दिल को खोलूं


तब तक वो चल के आयी 

और मुझसे थी टकराई

वो हाथों में थी मेरे

और हल्के से मुसकाई


मुझको कुछ समझ ना आया 

मद्धम उजियारा छाया

जब आंख खुली तो पाया

मुझको था सपना आया।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy