STORYMIRROR

ARCHANNAA MISHRAA

Inspirational

4  

ARCHANNAA MISHRAA

Inspirational

ध्यान

ध्यान

1 min
387

बरसों बरस बीत गए नहीं भंग हुआ मेरा ध्यान 

नित कार्य में लीन जैसे ली हो कोई समाधि 

वहां पहाड़ों पर बैठकर ऋषि मुनि करते हे ध्यान 

वैसे ही में रम के अपने संसार में नित्य ही करूँ में ध्यान

मोह भंग नहीं होता है, अनवरत जीवन चक्र ये चलता हे।

जीवन की ऊहापोह से बचने का सरल तरीक़ा हे।

नित्य लीन रहूँ में अपने में 

अपने से अपने की पहचान कराना ही है सत्य ज्ञान।

ध्यान समाधि का असली अर्थ हे आत्मज्ञान

जब आत्मज्ञान हो जाएगा तो 

मनुष्य का सारा अंधकार मिटाएगा 

नहीं रहेगा पाप धरा पर 

जीवन फिर से लहरायेगा

छायेंगी वसुधा पर फिर से हरियाली

चहूं ओर फैलेगी हरियाली

जैसे मीरा ने था कृष्ण का ध्यान धरा 

बुद्ध भी भटके वन जंगल, जैसा था गौरा ने ध्यान किया उस विष हलदर का 

वैसे ही मनुष्य को ध्यान करना होगा 

छोड़ के अपनी निजता को समाधि रत होना ही पड़ेगा 

तभी कटेंगे कष्ट सभी 

मिलेगा सच्चा आत्मबोध तभी ॥


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational