धरती माँ
धरती माँ
तुम इंसान भी ना
कितने स्वार्थी हो
न तो तुम ईश्वर समान
माँ को समझ सके और
न ही धरती माँ को
केवल धरती माँ कहते हो
कभी पुत्र धर्म भी निभाया करो
मुझे इस तरह न सताया करो
धरती माँ क्या नहीं देती
सब कुछ तो कर देती हूँ
न्योछावर तुम पर
मेरे हृदय को लहूलुहान कर
अन्न उगाते हो
तभी तो जीते हो तुम
सोचा है कभी कि....
मुझे कितना दर्द होता है
केवल धरती माँ कहते हो
कभी पुत्र धर्म भी निभाया करो
मुझे इस तरह न सताया करो
मैं तो माँ हूँ
आखिर कर लेती हूँ सहन
असहनीय दर्द भी
पर ...तुम्हें क्या महसूस होगा
माँ के दर्द का
तुम सभी तो निर्दयी हो
क्या अपनी धरती माँ के लिए
तुमने कुछ सोचा है
कुछ किया है
केवल धरती माँ कहते हो
कभी पुत्र धर्म भी निभाया करो
मुझे इस तरह न सताया करो
अरे ! स्वार्थी मानव
मैं तुमसे माँगती ही क्या हूँ
बस जरा-सा चैनों सुकून
समुचित देखभाल
तुम इस तरह न माँ
से खिलवाड़ करो
धरती माँ कहते तो
माँ से सही बर्ताव करो