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Himanshu Sharma

Abstract

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Himanshu Sharma

Abstract

धोख़ेबाज़ हूँ

धोख़ेबाज़ हूँ

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माना कि मैं हर महफ़िल में मुस्कुराता हूँ,

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


अय्यार नज़रों से अपनों को आजमाता हूँ,

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


होठों तक आयी बात को न कह पाता हूँ,

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


ज़िन्दगी के साज़ पर मैं गीत नया गाता हूँ,

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


छलकते आँसुओं में मैं क्यों नज़र आता हूँ?

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


जहाँ से थककर मैं तेरे आग़ोश में आता हूँ

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


चल तेरे पत्थर दिल पे आशियाँ बनाता हूँ, 

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


बन के परवाना तेरे इश्क़ में जल जाता हूँ 

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


ये तपिश जो पायी है, अश्क़ों से बुझाता हूँ,

धोख़ेबाज़ हूँ दरअसल ग़मों को छुपाता हूँ!


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