धीरे धीरे
धीरे धीरे
हम भी चल रहे धीरे धीरे
शाम भी ढल रही धीरे धीरे
अब तो बस उसकी बातें याद है
ये मदहोशी भी घट रही धीरे धीरे
उसकी तस्वीर देखकर सोने की आदत थी
अब ये आदत भी छूट रही धीरे धीरे
तुमसे मिल पाना मेरी किस्मत थी
अब ये किस्मत भी फूट रही धीरे धीरे
चाहा था कि हमेशा याद रखूंगा तुझे
ये चाहत भी मिट रही धीरे धीरे