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I am God

Tragedy

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I am God

Tragedy

दहेज प्रथा

दहेज प्रथा

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अपने हाथों मैंने अपनी बेटी का व्यापार किया।

हाय मैंने उन लोभियों पर क्यों एतबार किया।।


बड़े नाज़ों से मैंने जिसको पाला पोसा था।

उस लाडली का मैंने आज खुद दाह संस्कार किया।।

 

हँसती खेलती कली को किया था विदा।

उसके कोमल जिस्म पे अत्याचारों ने प्रहार किया।।


दहेज के लोभ में लक्ष्मी को जलाने वालों।

तुमने बन राक्षस इंसानियत का संहार किया।।


ऐसा ज़ख़्म दिया है जो न कभी भरेगा।

तुमने तो सीधा हमारे दिल पे ही वार किया।।


मेरे इस माथे में लिख दिया गुनाह बनाकर।

मैंने खुद अपने हाथों दिल के टुकड़े को तैयार किया।।


नहीं भूलूंगा कभी यह मरते दम तक।

मैंने साक्षात शैतान का दीदार किया।।


छीन लिया उस कमसिन कली को मुझसे।

जिसे सीने से लगाकर मैंने प्यार किया।।


एक दिन तुम भी इसी आग में जलोगे।

जिसे तुमने खुद अपने हाथों गुल़जार किया।।



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