धड़कन
धड़कन
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बड़ी मुद्दत के बाद मिले थे
कल हम थोड़े इत्मीनान से
पाया था काबू जज़्बातों पे
कैसे ये पूछो सिर्फ मेरी आँखों से।।
इक नजर देखने को तरसते हैं
देखते ही आँखों में क़ैद कर लेते हैं
जब भी देखने को जी करता है
आँसुओं से आपकी मूरत बनाते हैं ।।
कितने भी रहोगे दूर हमसे
हमेशा आप ही को चाहा करेंगे
अगर कभी होंगे जुदा हमसे
दिल की धड़कन खुद ही रोकेंगे ।।