धैर्य : इंतहाई ज़रूरत...
धैर्य : इंतहाई ज़रूरत...
आप जब भी इस
भीड़भाड़ वाली ज़िन्दगी से
मात खाकर गिरने लगते हैं,
तब एक बार अपने दिल से
पुछ तो लीजिए कि
वह क्या ख्वाहिश रखता है... !
आप जब भी थक-हार कर
ज़मीन पकड़ लेते हैं,
तब एक बार अपने पैरों तले
ज़मीन पर गौर करें...
क्या कभी आपने सोचा है कि
कितना भार सहती है वो ?
आप तो सिर्फ अपना
दुखड़ा ही सुनाते फिरते हैं... ;
कभी औरों की तो
सुनते ही नहीं !
ऐसी खुदगर्ज़ी क्यों... ??
ज़रा उनपे भी नज़र दीजिए,
जिनके पास अब हारने को
बचि कुछ भी नहीं...!
बताइए तो, आप कैसे
उन्हें समझाएंगे
और किस तरह
उनको समझेंगे...???
थोड़ा धैर्य रखें...!!
तभी आप कामयाब होंगे !!!