देवकीनंदन
देवकीनंदन
काले बादल आज छाए तो बहुत थे।
लगा जमकर बारिश होगी, लेकिन वह तो चल दिए।
किसी और का पुरसुकून बनने, किसी और के खेत लहलहाने।
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कभी गिरते गिरते संभलते हैं सब ,कभी संभलते संभलते गिरते हैं सब ।
संभलने- संभालने, गिरने -गिराने में उलझे हैं इस कदर।
जिंदगी जीए कैसे, है किसको अब यह फ़िकर।
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यूं ही वक्त बेवक्त निकलते रहे।
तो जिंदगी से रिहा हो जाएंगे।
,जल्द ही अलविदा कह जाएंगे।
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युद्ध हो अंतिम विकल्प शांति में प्रेम का महत्व।
धर्म संगत , कर्म संगत ।रास्ते बनाए तर्कसंगत।
ऐसे हैं हमारे गिरधारी, देवकीनंदन।
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यह घड़ी अत्यंत विकट है ।
लेकिन सभी निकट है ।
दिखते सभी चिंतित है ।
लेकिन फिर भी निश्चिंत है।