देश से मोहब्बत
देश से मोहब्बत


कुछ देश के वीर शहीद थे
जो भारत देश पर मरते थे
चोरी चोरी चुपके चुपके
आन्दोलन किया करते थे
देश को आजाद कराना था
पर अग्रेंजो से बचते थे
अहिंसा के पुजारी थे
मारकाट से डरते थे
जब भी भाषण देते थे
अग्रेंज उनसे कहते थे
देश आजाद नहीं होगा
यह देश आजाद नहीं होगा
और वो सिर्फ इतना ही कहते थे .....
आजाद देश के हैं हम
हमको यहीं पर रहना है
तुमको यहाँ से जाना है
हमको बस यही कहना है
देश में आजादी को हमने
लाके दिखलाना है
देश की खतिर हमें
फाँसी पे चढ़ जाना है
सैकड़ौ वीरो ने लाठी कौड़े
और खायी गोरों की गोलियाँ
माँ बहन और बहु बेटी
यह उनकी लगायें बोलियाँ
अब उन गद्दारो का घर
भारत में नहीं रहना है
तुमको यहाँ से जाना है
हमको बस यही कहना है
नेहरू लाला और गाँधी ने
हाथ डन्डा लिया
खाना पीना छोड़ दिया
बस साथ झन्डा लिया
आन्दोलन और यात्राऐं
वीरो ने ना जाने कितने किये
स्वार्थ अपना किसी ने देखा नहीं
नब्बे नहीं वो तीस जिये
तीस जिये जो भारत देश का
सबसे अच्छा गहना है
तुमको यहाँ से जाना है
हमको बस यही कहना है
लाखों जाने गवाँयी तो फिर
देश आजाद हुआ
हर तरफ खुशहाली थी
सबकुछ था बदला हुआ
जिनके बेटे देश मे शहीद हुए
उनकी माँयें उनपे गर्व करें
गोरे यहाँ से थे भाग गये
उनको नहीं कोई माफ़ करे
हमने गुलामी बहुत सही
अब तुमको दर्द यह सहना है
तुमको यहाँ से जाना है
हमको बस यही कहना है
देश में जब सरकार बनी तो
एक लफड़ा हुआ
दो धर्मों में बँटबारे की
बात पे झगड़ा हुआ
हिन्दु मुस्लिम दोनों को अलग करे
यह अग्रेंज की चाल थी
दोनो धर्मो मे मतभेद हुआ
जनता करती बवाल थी
इस मत भैद की खातिर अब
लहु बहुत ही बहना है
तुमको यहा
ँ से जाना है
हमको बस यही कहना है
जब यह समस्या हल ना हुई तो
क्यूँ ना ऐंसा करें
जैंसे शरीर को काटते है
वैसे देश के टुकड़े करें
सौने की चिड़िया के दो टुकड़े हुए
ऐंसा कहीं पर है नहीं सुना
एक हिस्से का है नाम भारत
दुसरा पाकिस्तान बना
वोके बीज थे गोरे गये
अब उसका दुख यहाँ रहना है
तुमको यहाँ से जाना है
हमको बस यह कहना है
हिन्दु हो या मुस्लिम हो
जो जी चाँहे जहाँ रहे
अब ना किसी की माँग उजड़े
ना किसी का खून बहे
वो जिन्होने पाकिस्तान माँगा
उनको अब वो था छोटा लगा
वो वहसी है आतंकवादी है
उनका नही है कोई सगा
पहले पाकिस्तान था माँगा
अब कश्मीर भी लेना है
तुमको यहाँ से जाना है
हमको बस यह कहना है
अब कश्मीर की खातिर फिर से
जानें जाने लगी
जख्मी और मुर्दो से गाडियाँ
भर के आने लगी
जुल्म फिर से वही था होने लगा
जाति धरम की यह जंग थी
बापू गाँधी बने शिकार इसका
जनता इनके संग थी
अहिंसा के थे पुजारी हम
पर अब हिंसा में रहना है
तुमको यहाँ से जाना है
हमको बस यह कहना है
यह जंग भी जब शांत हुइ तो
फैशन ऐंसे चले
छोटे घर और छोटे दिल
छोटे ही कपड़े मिले
लड़की चेहरे पर ऐंसा मेकअप करें
जिन्स बिना कोई पर्व नहीं
आज की माँओ को बेटिओ पर
पहले जैंसा गर्व नहीं
गर्व कर्म और जाति धर्म
यह भारत मे नहीं रहना है
तुमको यहाँ से जाना है
हमको बस यह कहना है
दारू गुटखा और सिगरेट
सब ही यह शौक करें
टी वी और कैंसर के रोग से
लोग जल्दी मरें
लाखो तरह के यह नये नशें
भारत की कमजोरी हैं
अगर जो मैं इनको रोकु तो
क्या यह कोई चोरी है
गर यह चोरी भी है तो
मुझे इसका दण्ड भी सहना है
तुमको यहाँ से जाना हैं
हमको बस यह कहना है!