देश की बेटी
देश की बेटी
उस वक़्त का इन्तज़ार सदियों सा लगता है
निभाया का बलात्कार किस्सा सा बनता है
देश की हर मां को सुकून सा लगता है
देश की जनता में हल चल सा मचता है
देश की न्याय में इतना वक़्त क्र्यूं लगता है
देश में उस वकील को तिरस्कार क्यूं मिलता है
देश की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान
बस अभियान सा ही लगता है
देश की बेटी पढ़ तो रही है
देश की बेटी डर क्र्यूं रही है
देश की बेटियों को खुल कर
जीने की प्रबल दावेदार बन तो रही है
देश की नागरिकता में अपनी छाप छोड़ भी रही है
देश के किस हिस्से में किस किस पद पर
मुकाम हासिल भी कर रही है
फिर भी देश की बेटी निर्भया सी ज़िन्दगी
जीना का सोच कर दहशत की कहानी
अपने ज़हन में दोहरा क्यों रही है
देश की पुरुषार्थ समाज को
आज ये समझा भी रही है
देश की मातृ भूमि में पलने वाले,
जिस मां का सपूत है
वो भी एक औरत, कुमारी है,
जिस बहन का रक्षा कवच बन एक डोरी से
बंदी लाज की कसमें खाते वो इंसान हो तुम
देश की बहू बेटियों की इज्ज़त के
रक्षा का सम्मान हो तुम
देश की बेटी से धिक्कार की
नज़र के हकदार क्यूं हो तुम
देशवासियों सोच बदलो देश बदलेगा।
देशवासियों निगाहें बदलो देश बदलेगा
देशवासियों इज्ज़त कमायो देश संभालेगा।