देश का भविष्य
देश का भविष्य
और न जाने कितने
छोटू
रोज धुलते /मलते
झाड़ू लगाते ,
दिख जाते .
पूछने पर कि कैसे हो -
मुस्कुराते
जवाब देते
क्या लाऊँ शाब!
ठंडा या काफी ?
छोटुआ!
क्या कर रहा है रे
साला ???
साहब की टेबल पर पानी रख,
चल 3 नं की टेबल साफ कर.
शर्मा जाता ....
जाने लगता
दाँतों से नाखून कुतरते
बोले पड़ता ..
ये तो रोज़ की बात है शाब
क्या लाऊँ??
ठकुआया हुआ मैं
निहारता उसे /कुछ भी नहीं कह पाता .
ठंडा या काफी ?
बोलिए न शाब!
साला वहीं रहेगा का रे???
और
आँखों की राह दिखाई देता मुझे
भारत का भविष्य ़़।