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Praveen Gola

Romance

4  

Praveen Gola

Romance

डिजिटल कृष्ण

डिजिटल कृष्ण

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अधूरी चाहतें अधूरी ही रह गईं ,
कानों में कहने की सब बातें रह गईं ,
ईश्क बहुत प्यारा था हम दोनो का ,
बस उसमे जज़्बातों की कमी रह गई |

मेरे बुलाने पर वो हमेशा चला आता था ,
संग अपने ढ़ेरों किस्से ले आता था ,
हर "टेक्स्ट" में इज़हार की खुशबू बह गई ,
मगर उसे छूने की तड़प फिर भी रह गई |

वो जब भी जाता था मुझे छोड़कर ,
मेरा दिल रुकता नहीं था किसी मोड़ पर ,
वीडियो कॉल की मुस्कान स्क्रीन पर रह गई ,
डिजिटल प्यार में ज़िस्म की गर्मी मैं सह गई |

मगर फिर भी ये प्यार बहुत अच्छा था ,
इसमे ना कोई डर और ना कोई खतरा था ,
इसी फ़ायदे की धुन में मैं भी बह गई ,
अपने दिल की बात उसके दिल से कह गई |

ऐसा नहीं कि ये ईश्क ज़िस्मानी ना हुआ ,
इसमे भी ज़िस्म ने ज़िस्म की रूह को छुया ,
मगर संग सोने की चाहत बेमानी रह गई ,
तभी तो उसे अपना डिजिटल कृष्ण कह गई |

मैं आज भी उसकी मोहब्बत का दम भरती हूँ ,
और वो भी मेरी चाहत का सम्मान करता है ,
इस वर्चुअल दुनिया में एक उदाहरण बनकर ,
मैं अपने सालों के ईश्क को सच्चा कह गई ||








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