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Brajendranath Mishra

Abstract

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Brajendranath Mishra

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दाग छिपा लेते हैं लोग

दाग छिपा लेते हैं लोग

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चेहरे पर चेहरे लगा लेते हैं लोग

असली चेहरा छुपा लेते हैं लोग।


यह जहाँ एक तिलश्मी जाल है,

कैसे-किसे यहाँ फँसा देते हैं लोग।


कोई चेहरा हँसता हुआ सा है मगर

उसके अंदर भी गम छुपा लेते हैं लोग।


आप के नाराज चेहरे से हमें याद आया,

छुपा कर भी बहुत कुछ बता देते हैं लोग।


उनकी पोशाक में जो झक्क सफेदी है,

'मर्मज्ञ' के दामन में दाग छिपा लेते हैं लोग।


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